Jan Jan Ke Shri Ram
Jan Jan Ke Shri Ram
by Vivekanand & Ranju Rani
₹199.00
ISBN
9788198406132
Pages
96
Publishing Year
Jun 2025
Size
5" X 8"
Binding
Paperback
BOOK DESCRIPTION
जन जन के श्रीराम (रामचरितमानस पर आधारित एक काव्यात्मक यात्रा)

यह एक अनूठी और भक्तिपूर्ण पुस्तक है, जो तुलसीदास कृत रामचरितमानस के गहन भावों और भगवान श्रीराम की गौरवगाथा को तीन पंक्तियों के समूह की काव्यात्मक शैली में प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक में 125 से अधिक ऐसी त्रिपदियाँ (तीन-पंक्ति वाली कविताएँ) शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक श्रीराम के जीवन के विभिन्न पहलुओं, लीलाओं और उपदेशों को संक्षेप में समेटे हुए है। जैसे:

हुआ निरंकुश रावण जब ही, पाकर ब्रह्मा से वरदान धरती - अंबर त्राहि त्राहि, श्रीराम जय राम जय जय राम । सियाराम जय राम जय जय राम, श्रीराम जय राम जय जय राम ।।

त्रिक शैली की इस पुस्तक में एक विशिष्ट संगीत, लय और गेयता समाहित है, जिससे पाठकों के लिए भगवान राम की कथा से जुड़ना और भी सरल तथा आनंदमय हो जाता है। यह सिर्फ एक काव्य-संग्रह नहीं है, बल्कि रामचरितमानस के मूल संदेश को जन जन तक पहुँचाने का एक लघु प्रयास है—विशेषकर उन आधुनिक पाठकों के लिए, जो संक्षिप्तता और सारगर्भिता को प्राथमिकता देते हैं।

यह पुस्तक उन सभी के लिए है जो भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेना चाहते हैं, उनकी महिमा को समझकर उनकी भक्ति के माध्यम से सांसारिक शांति और आध्यात्मिक मुक्ति की खोज में हैं। इसमें प्रत्येक कविता का अंश एक छोटी सी कहानी, एक गहरा दर्शन या एक शक्तिशाली मंत्र के समान है, जो पाठक के हृदय में श्रीराम के आदर्शों का बीजारोपण करती है।

जिस प्रकार धरती में बीज चाहे सीधा बोया जाए या उल्टा, वह अंकुरित होकर पनपता ही है—उसी प्रकार भगवान के किसी भी रूप को, किसी भी भाव से स्मरण करने पर शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है।

राम-कृष्ण सब एक हैं, भजो रीझ या खीज । भूमि गया जो पनपे सभी, उल्टा सीधा बीज ।।
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